एपीजे अब्दुल कलाम की प्रेरणादायक कहानी
APJ Abdul Kalam STORY: एपीजे अब्दुल कलाम महान वैज्ञानिक, इंजीनियर, लेखक, प्रोफेसर और एक महान व्यक्तित्व के स्वामी होने के साथ-साथ भारत के 11 वें राष्ट्रपति थे।उनको मिसाइल मैन के नाम से भी जाना जाता है।
एपीजे अब्दुल कलाम का पूरा नाम अबुल पाकिर जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम था। मिसाइल मैन नाम से विख्यात एपीजे अब्दुल कलाम ने भारत की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। साइंस और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उनके योगदान अतुलनीय है।
APJ ABDUL KALAM KE JIVAN SE KYA PRARNA LE SAKTE HAI
हम उनके जीवन से बहुत ही प्रेरणा ले सकते हैं। एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म तमिलनाडु राज्य के रामेश्वरम में स्थित धनुषकोडी नाम के गांव में एक मुस्लिम परिवार में 15अक्टूबर 1932 में हुआ। उनके पिता नाविक थे और मां गृहिणी थी। एपीजे अब्दुल कलाम ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रामेश्वरम के Schwartz Higher Secondary School से प्राप्त की। तरूचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से भौतिक विज्ञान में डिग्री प्राप्त की। मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री प्राप्त की।
APJ ABDUL KALAM का जन्म एक साधारण गरीब परिवार में हुआ था। उनके बचपन के दिन बहुत संघर्ष पूर्ण थे लेकिन उन्होंने उस संघर्ष को अपनी जीवन की सफलता में बाधा कभी नहीं बनने दिया। हम उनके जीवन से परिश्रम करना सीख सकते हैं। अब्दुल कलाम का जन्म एक छोटे से गांव धनुषकोडी में एक गरीब परिवार में हुआ था। पैसे की तंगी के कारण आठ साल की आयु में वह पढ़ाई के साथ-साथ अखबार बेचते थे। वह पैदल चलकर अखबार लोगों के घरों में देने जाते तो रास्ते में अखबार पढ़ लेते थे। उनका जीवन बचपन से ही संघर्षों से भरा था लेकिन उन्होंने उम्मीद और हिम्मत कभी नहीं छोड़ी।
जीवन को दिशा निर्धारित करने की घटना
एक बार उनके अध्यापक सुब्रमण्यम अय्यर ने कक्षा के बच्चों से पूछा कि बताओं कि चिड़िया कैसे उड़ती है। कक्षा में कोई भी बच्चा इस प्रश्न का उत्तर नहीं दे पाया।शिक्षक अगले दिन बच्चों को समुद्र तट पर ले गए और उन्हें बताया कि पक्षी कैसे उड़ते हैं और पक्षियों के शरीर की बनावट के बारे बताया कि उनकी बनावट कैसे पक्षियों के उड़ने में मदद करती हैं। इस घटना ने उनके जीवन की दिशा निर्धारित करने में प्रेरणा दी।
उनका मानना था कि इस देश का सबसे अच्छा दिमाग क्लास के आखिरी बेंच पर मिल सकते हैं।
- एक बार एपीजे अब्दुल कलाम को उनके टीचर ने उन्हें पुरोहित के लड़के के साथ बैठने के कारण क्लास में सबसे पीछे बिठा वाले बेंच पर बिठा दिया था। उस दिन ही उन्होंने निश्चय कर लिया था कि वह जीवन में उच्चा स्थान प्राप्त करके जरूर दिखाएंगे।
मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया विमान का डिजाइन का प्रोजेक्ट मिला। लेकिन शिक्षक को इनका डिजाइन पसंद नहीं आया। प्रोफेसर से इन्होंने एक मास का समय मांगा लेकिन प्रोफेसर ने उन्हें तीन दिन का समय दिया था। प्रोफेसर कहने लगे कि अगर तुमने अपना काम पूरा नहीं किया तो तुम्हारी स्कॉलरशिप खत्म हो जाएगी। एपीजे अब्दुल कलाम तीन दिन तीन रात बिना खाये और बिना सोए उस प्रोजेक्ट पर काम करते रहे और 3 दिन बाद जब उनके प्रोफेसर को जब विमान का डिजाइन दिखाया तो उसे देख कर उन्हें गले लगा लिया। उन्होंने ने कहा कि मुझे पता था कि तुम में काबिलियत है लेकिन मुझे देखना था कि तुम कठिन वक्त को सहने में कितने सक्षम हो।
एपीजे अब्दुल कलाम पायलट बनना चाहते थे इसलिए उन्होंने अपने परिश्रम से सारी परीक्षाओं में सफल भी रहे। लेकिन पायलट के लिए केवल 8 ही सीट थी और वह नौवें स्थान पर आए। इस कारण वह बहुत निराश हुए लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार किया । उनका मानना था कि मुझे निराशा जरूर हुई थी लेकिन निराशा कभी भी मुझे हरा नहीं सकती । उन्होंने निश्चय किया कि मैं भले ही पायलट नहीं बन पाया लेकिन साइंटिस्ट बनकर एयरक्राफ्ट जरूर बना सकता हूं।
शिक्षा के महत्व को समझना
एपीजे अब्दुल कलाम का मानना था कि किसी भी सफल व्यक्ति के पीछे से शिक्षा और ज्ञान का बहुत बड़ा योगदान होता है । किसी विद्यार्थी को शिक्षा के अलावा किसी और विषय पर नहीं सोचना चाहिए। शिक्षा ही विद्यार्थी की प्राथमिकता होनी चाहिए। आपको याद रखना चाहिए कि कुछ भी हो मैं सीखना नहीं छोडूंगा। वह अपने आपको एक अच्छा टीचर मानते थे उनका मानना था कि मुझे सबसे ज्यादा प्रसन्नता तब होती है जब कोई बच्चा पीएचडी पूरी कर लेता है
वह भारत को ताकतवर देश के रूप में देखना चाहते थे। क्योंकि उनको पता था कि चीन और पाकिस्तान जैसे उनके पड़ोसी हैं और वह भारत को परमाणु संपन्न शक्ति के रूप में देखना चाहते थे। उन्होंने पृथ्वी, अग्नि जैसी मिसाइलों को बनाया जिसके कारण भारत सुरक्षात्मक दृष्टि से आत्मनिर्भर बना।
उनका मानना था कि लोग अगर मुझे एक शिक्षक के रूप में याद करें। उन्होंने शिक्षा को सदैव महत्व दिया । उन्हें बच्चों को शिक्षा देना इतना पसंद था कि उनका जुलाई 2015 में शिलांग में आखिरी क्षण भी छात्रों के साथ विचार सांझा करते हुए गुजरा। उनका कहना था कि वह अपने जीवन के आखिरी क्षण भी छात्रों के साथ रहना चाहते हैं मानो ईश्वर ने उनकी बात सुन ली। 27 जुलाई 2015 को IIT गुवाहटी में विद्यार्थियों को संबोधित करते समय कार्डियक अरेस्ट हुआ और देहांत हो गया।
युवाओं के प्रेरित करना
उनका मानना था कि देश के युवाओं को कुछ अलग तरीके से सोचना चाहिए कुछ नया करने का प्रयास करना चाहिए हमेशा अपना रास्ता खुद बना असंभव को भी हासिल कर सकते हैं।
एपीजे अब्दुल कलाम का मानना था कि संसारिक जीवन में आपका एटीट्यूड कैसा है ? यह बहुत महत्व रखता है। क्योंकि
सभी जीवों के प्रति प्यार की भावना
APJ Abdul Kalam को पक्षियों से विशेष लगाव था। एक बार डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन ने बिल्डिंग की सुरक्षा के लिए बिल्डिंग की दीवार पर कांच के टुकड़े लगाने का सुझाव दिया। लेकिन अब्दुल कलाम ने इस सुझाव से इंकार कर दिया उनका मानना था कि इससे पक्षियों को नुकसान हो सकता है।
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